Sunday, January 1, 2023

दिल मानता नहीं

दिल मानता नहीं


आखिर यह बात क्या है
मुझको तो पता नहीं है
कहां चली गई हो
रूठ के तो नहीं गई

दिल में छुपाया हुआ
इश्क को क्या नाम दूं
तुझे पता है क्या 
तो बता दो जरा

दिल धड़कता है
प्यासी है गला
मैं और मेरे कलम
थक चुका है तेरे लिए

और कितने पुकारू
ल में कितने बीत चुका है
ना कुछ बन सका
तेरे प्यार के सामने
समझौता करूं किस से
मानता नहीं दिल

जी आर कवियूर




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