रात और बातें
चंद लम्हे में चौकाती
चमकती बिजली डराती
गरजे बादल ना बरसे
गूंजते हुए आए चुपके से
निकल गई रात और बातें
उसके आंखों से आंख न मिला पाए
खामोशी बरसती रही
मोन की दीवाल खड़ी हो गई
चांद और सितारे ना नजर आई
सूरज की किरणें खिल्ली उड़ाई
मेरे कलम नींद से जागे
जी आर कवियूर
04 01 2023
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