सताती है.(गजल)
जी आर कवियूर.
जिंदगी इस कदर
बार-बार सताती है.
तुझ संग जीना चाहा.
मगर वह तो
एक ख्वाब रह गया.
आज भी सोच में
.डूबा रहता हूं.
बीते दिनों का.
रंगीन नजारे.
और बात आज भी.
लिख गाता हूं.
तेरी आवाज में.इसे
गाकर सुनना चाहा.मगर तू तो
बात से भी दूर रहती हो.
छोड़ गई मुझको.
इस गुमनाम डगर पर सनम.
जिंदगी इस कदर
बार-बार सताती है
18 10 2022
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