समा जाओ रे.
इश्क इश्क की दरिया में.
डूब चुके मेरे नईया मैं.
हाल क्या बताऊं सैयारे..
दिल खोकर.हार गया हूं भैया हरे.
तेरी आंखों में रहना चाहा रे.
चमक उठे सारे बाहों में.
और खोना ना चाहूं तुझेमेरे.
पल बहुत कम है रे.
सांसों में निहारू रे.
हां मैं पागल हुआ तेरे प्यार में.
और नहीं तड़पाओ रे.
लग जा गले.मेरे गीतों में.
सावन बनकर समा जाओ रे.
जी.आर.कवियूर
25 10 2022
No comments:
Post a Comment