ढूंढता था उसे
(ग़ज़ल.)
खामोशियों से जूझता मन.
खोजने लगा बीते हुए.
दिनों की किस्से हजार.
दीवाना बने घूमते थे.
उसे पता नहीं था मगर..
आंखें आंखों से मिलते थे.
सपनों में भी.दिखती थी..
दो लफ्जों में कहना चाहा.
मगर हालात ने अलग कर दिए.
आज भी वो लमहे ढूंढता हूं.
मगर दिखते नहीं वह कहीं.
भीड़ में खो गई हो..
याराना अंदाज से
मुलाकात कर नहीं सके मगर.
आती जाती है वह मेरे नगमा में.
गजल बनकर लोग
वह कहानी दोहराते हैं.
खामोशियों से जूझता मन.
खोजने लगा बीते हुए दिन.
जी आर कवियूर
21 11 2022
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