अंदाज लिए.
दिल में..शायराना अंदाज लिए.
सपने देखने लगे.चिड़िया की तरह.
पंखुड़िया फैलाकर.उड़े आसमान तले.
मगर सोचा नहीं.काबिलियत.के.
सीमाएं ना जानकर.
अपने को.समझ बैठा.गालिब जैसे.
गलियों में.फिरता रहा.
आवारा पागलों की तरह..
यह कोई भूल तो नहीं.
यह धरती में.एक चींटी.भी.
अपने आप को.समझते हैं.खुदा.
ख्वाहिश.और लगन है तो.
क्यों नहीं.पहुंचेंगे..
आसमान के तारे तक.
कोशिश कोई कशिश नहीं है.
होने को तो हो सकता है.
दिल छोटा मत करो यार.
काबिलियत है तुझ में.
थान लोग.यह मंत्र.
उत्तिष्ठदा.
जाग्रता.
प्राप्य वरान्निबोधत
जी आर कवियूर
24 11 2022
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