मेरे यारा.(गजल)
आज तुझे पुकारता रहा.
अजनबी.राहों से गुजरता रहा.
अदाएं फिर लिए मगर.
आगे तक तेरी नाम निशान ना मिला.
अरे तू कहां रूठ गई.मैं तो तुम्हें.
आरजू से ढूंढता रहा इस कदर.
आईने ने भी.झूठ.हाय.
अगर मगर की डगर पर..गुमनाम.हो.
आजाओ मेरी महफिल में सही
आन बान शान दूंगा तुम्हें.
अभी.जाओ.क्यों.तड़पाती इस कदर
आई तू मेरे कागज कलम पर
नगमे बनकर छा गई तू..
और रूठ कर ना जाओ मुझसे.
आती नहीं और.रास्ते रिश्ते की.
आवाज.ना करो.मेरे यारा.
जी.आर.कवियूर
25 09 2022
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