Thursday, March 3, 2022

आवो महसूस करके

यूं मुस्कुराए.
लागे चांद..उत्तर आए.
मोरे निंदिया में.
सपना सालोरा.कर दे.

हाय यह अदाएं...
मुझे भाग गई.इतना रे.
रूट क्यों गई मुझसे.
मनाना आता नहीं..

मान भी...जावे.
अरमानों को पूरा करके.
मुस्कान भर कर जाइएगा.
जनम जनम की.

कीमत चुकाते.हुए..
लौट के जाना है सबको.
क्यों रूठ कर 
टूट कर क्या मिलेगा.

आवो महसूस करके 
मोहब्बत का इस आशियाना...

जीआर कवियूर
03 03 2022

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