Tuesday, May 14, 2024

आज भी याद करता हूं (गजल)

आज भी याद करता हूं (गजल)


आपके अरमानों को
आज भी याद करता हूं
मगर सहलाने की ताकत
उन दिनों में हमें नहीं थी

बीते वक्त की यादों में
खोया हूं अक्सर मैं
दिल के कई राज़ छुपे हैं
जिन्हें अब भी न खोलूं मैं

धुंधला सा रहता है ख्वाबों में
तेरा चेहरा बसा है
आँखों में छुपी बेखुदी
अब तक जीने ना पाया है

क्या कहूं किसे ये दर्द
जो छू लेता है हर पल
तेरी यादों का करवा सच
अब तक निभाया है

आज भी तेरी तलाश में
गुम हूं अपनी ही राहों में
तेरे अरमानों को साथ ले कर
बस चल रहा हूं अब तक मैं।

रचना 
जी आर कवियूर
15 05 2024



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