कालि या गोरी हो तू
कहूं आज या कल कहूं
तेरे बारे में सनम
कहने को कहता रहूं
कालि या गोरी हो तू
तेरी आँखों में जो डूब जाऊं
हर ग़म अपना भुलाऊं
तेरी मुस्कान का जादू
हर दिल को है छू जाता
तेरी बातें सुनूं जब मैं
मन मेरा बहक जाता
तू जो पास हो मेरे
जग सारा हसीं लगता
तेरे बिना अधूरी सी
हर ख्वाहिश हर अरमान
तू ही मेरा हमसफ़र
तू ही मेरा भगवान
रचना
जी आर कवियूर
29 05 2024
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