Tuesday, May 28, 2024

कालि या गोरी हो तू

कालि या गोरी हो तू 

कहूं आज या कल कहूं 
तेरे बारे में सनम
कहने को कहता रहूं
कालि या गोरी हो तू

तेरी आँखों में जो डूब जाऊं
हर ग़म अपना भुलाऊं
तेरी मुस्कान का जादू
हर दिल को है छू जाता

तेरी बातें सुनूं जब मैं
मन मेरा बहक जाता
तू जो पास हो मेरे
जग सारा हसीं लगता

तेरे बिना अधूरी सी
हर ख्वाहिश हर अरमान
तू ही मेरा हमसफ़र
तू ही मेरा भगवान

रचना 
जी आर कवियूर
29 05 2024

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