Saturday, May 11, 2024

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

ख्वाबों को सजाता हूं। (गजल)

यह किस्मत कितनी अजीब है
फासले कितने भी हो  मगर
तेरे साथ में  जीने की तमन्ना है
मगर यादों  की भीड़ में खोया हूं

सपनों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
कितनी बारिशों में भिगोया हूं
तेरी यादों के साथ रोया हूं

बीते पलों को फिर से जीने की आस है
तेरी मोहब्बत में डूबे हुए ये रातें
दिल की धड़कनों में बसी तेरी बातें
अब तक न जाने क्यों तेरी यादों में ही रहता हूं

ख्वाबों की दुनिया में खोया हूं
तेरे बिना अधूरा सा लगता हूं
साथ तेरे चलने की चाहत में
अपने ख्वाबों को सजाता हूं।

रचना 
जी आर कवियूर
12 05 2024

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