खामोशी के सिवा
क्या मिला है सिला
यह सिलसिला कब तक
रातों की बेरुखी,
दिलों की तन्हाई,
इस प्यार का सफर,
लम्हों में है राज़।
धूप में छाई है,
चाँदनी की रातें,
बैठे हैं हम यहाँ,
पलकों की पर्वाह ना।
मोहब्बत की राहों में,
उम्मीदों का सफर है।
बातों की गहराईयों में,
दिलों का हमसफ़र है।
चाहत की बारिशों में,
रिश्तों का मौसम बदले।
आँधीयों से खेलने में,
दिल का सफर चले।
रचना
जी आर कवियूर
03 02 2024
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