मत मारो मुझे तेरी आशिक तो हूं
ज़िन्दगी के सफर में, भावनाएँ महकती हैं,
सपनों का सागर, दिल में कुछ खुम्बूं है।
इश्क का जादू, दिल को छू रहा हूं,
पत्थर नहीं, मत मारो, ख्वाबों में बसा हूं।
जीवन के नृत्य में, भावनाएं खिल रही हैं,
सपनों का सागर, दिल में कुछ खुम्बूं है।
आँधीयों में उड़ान, भविष्य की ऊँचाइयों पर,
सिर्फ इश्क में, ना हो जाऊं गिरता हूं।
रात की चाँदनी, मेरे दिल का साथी,
आसमानी रंगों में, छुपा हुआ राज़ी हूं।
दर्द-ओ-ग़म को बहुत समझता हूं,
मुस्कान के पीछे, चुपी खुशीयाँ पहचानता हूं।
आँसुओं की मिठास, प्यार की राहों में,
जीवन की कहानी, हर क़दम पे बढ़ता हूं।
रचना
जी आर कवियूर
05 02 2024
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