याद करता हूं
तेरे बारे में
भूल नहीं सकता
बीते हुए दोनों की यादें
अब तक तेरी खुशबू
घूमती है घर के कोनों में
तेरे ख्वाबों में खोया
हर पल हो या रात का सोना
जब भी आँखें बंद करता हूँ
तेरी यादों का किताब खोलता हूँ
बीते हुए लम्हों की धूप
मेरे दिल को चीर कर गुजरती है छांव
रचना
जी आर कवियूर
18 04 2024
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