Thursday, April 18, 2024

भूल नहीं सकता

याद करता हूं
तेरे बारे में
भूल नहीं सकता
बीते हुए दोनों की यादें

अब तक तेरी खुशबू
घूमती है घर के कोनों में
तेरे ख्वाबों में खोया
हर पल हो या रात का सोना

जब भी आँखें बंद करता हूँ
तेरी यादों का किताब खोलता हूँ
बीते हुए लम्हों की धूप
मेरे दिल को चीर कर गुजरती है छांव


रचना 
जी आर कवियूर
18 04 2024

No comments:

Post a Comment