अब बस हमसे हैं दूर
यह टूटे दिल की फरियाद
कोई ना सुने इस कदर
इश्क की रहे कितने कठिन
वफाई की सफाई से क्या कहूं
बेवजह चलती है ये तन्हाई
रुकती नहीं, न जाने क्यूं
मोहब्बत की राहों में गुम
मिलती नहीं, न जाने क्यूं
दिल की बातें लिखता हूं
कगाज़ पे फिर भी उलझा हूं
बेकार उम्मीदों की धुंध में
खुद को ही खो गया हूं
ये दिल भी अब नदान है
दर्द की राहों में मजबूर
क्या कहूं, कैसे कहूं
ये दर्द तो अब बस हमसे हैं दूर
रचना
जी आर कवियूर
30 04 2024
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