जिंदगी की दौड़ पे
जिंदगी की दौड़ पे
अकेला पड़ गया
सुख दुख की रास्तों मैं
फूल और कांटे मिले
जीवन की कहानी में
हर दिन नई चुनौती
मनुष्य को आगे बढ़ना है
सपनों की ऊँचाइयों तक
रात के अंधेरे में भी
रोशनी की किरनें जगमगाती हैं
हार-जीत, गर्व-शर्म के खेल में
आत्म-समर्पण से ही मिलती है जीत
हर कदम पर सिखना है
और बढ़ते जाना है
जिंदगी की महक छुपी है
हर रोज़ नई कहानी लिखनी है।
रचना
जी आर कवियूर
03 10 2023
No comments:
Post a Comment