Monday, October 2, 2023

जिंदगी की दौड़ पे

जिंदगी की दौड़ पे

जिंदगी की दौड़ पे
अकेला पड़ गया
सुख दुख की रास्तों मैं
फूल और कांटे मिले

जीवन की कहानी में
हर दिन नई चुनौती
मनुष्य को आगे बढ़ना है
सपनों की ऊँचाइयों तक

रात के अंधेरे में भी
रोशनी की किरनें जगमगाती हैं
हार-जीत, गर्व-शर्म के खेल में
आत्म-समर्पण से ही मिलती है जीत

हर कदम पर सिखना है
और बढ़ते जाना है
जिंदगी की महक छुपी है
हर रोज़ नई कहानी लिखनी है।

रचना 
 जी आर कवियूर
 03 10  2023

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