Tuesday, October 3, 2023

सपनों की बारात।

सपनों की बारात।

अजनबी राहे गुमनाम करती है
आज और  कल के बीच 
हैरान हूं यह वीरानों की सफर में

मेरी बातों का कोई अर्थ नहीं, 
सिर्फ विचार हैं संग्रहित,
समय के आँधी में,
 सपनों की धारा बहती है बेहद।

धुंधला सा सच, 
छुपी उम्मीद की किरन,
मेरे अंदर भी, है 
एक खोई हुई कहानी।

सितारों की चमक, 
चाँदनी की कहानी,
आज की रात, है 
एक नई मिशाल जवानी।

गुजरी बातें यादें, 
सब ले जाती हैं साथ,
आज और कल के बीच, 
है सपनों की बारात।

वीरानी की गलीयों में, 
भटक रहा हूं खो,
अपनी तलाश में, 
जीवन की लब पर मुस्कान छुपा हूं मैं।

रचना 
 जी आर कवियूर
 04 10  2023

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