दिन रात सपनों के सौदागर हो तुम
मन की गहराईयों में बसी अजब कहानियाँ हो तुम
चाँदनी रातों में बिखरी ख्वाबों की रानियाँ हो तुम
हर बुढ़ापे की बहार और जवानी की मस्ती हो तुम
जीवन की हर राह में बिखरी हंसी की बस्तियाँ हो तुम
बारिशों की बूँदों में लिपटी खुशबू की बूंदें हो तुम
ख्वाबों की उड़ान में बसी आसमान की सीरी हो तुम
सुबह की पहली किरन में बसी आशा की चाँदनी हो तुम
रात की गहराईयों में बसी चाँदनी की महफिलें हो तुम
सपनों की मिठास में छुपी जिंदगी की मिठास हो तुम
हर ख्वाब की ऊँचाईयों में बसी मन की उम्मीद हो तुम
सपनों के संग सजीव रंगों की छाया हो तुम
जीवन की हर कहानी में बसी प्यार की छाया हो तुम।
रचना
जी आर कवियूर
29 10 2023
No comments:
Post a Comment