Saturday, July 8, 2023

अनमोल रहे

अनमोल रहे 

दिल चुरा लिया के 
कब चली गई हो तु
कली जो खिल उठी है

 जिंदगी का नजारा
बदल गई चंद अल्फाजों से
हां तेरी नजर से नजर मिले
गम गायब हो चुकी थी

गजलों की गुनगुना 
उठा मन की
महफिल में सनम 
बेकरारी सी हो गई

क्यों कहां है हरदम
इतनी भी लिखूं या गांवे 
नहीं यादें तुम्हारी हर दम
खयालो में नगमे बन उत्तर आती है

हां तेरे सिवा नहीं 
जीना मुमकिन नहीं है
हां यह सच है यारा 
 यह प्यार हमारा अनमोल रहे 

लेखक
जी आर कवियूर
07 07 2023




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