शब्दों में छुपे अर्थ उभरते हैं,
पलकें लिखती संदेश, पढ़ने वाला नहीं।
हृदय की आवाज़ हवा में मिलती है,
स्मृतियाँ छवि बनकर मन में बहती हैं।
निःशब्दता में छुपे शब्द,
स्मृति के फूल की तरह मन में खिलते हैं।
ठंडी रात की हल्की रोशनी में,
स्मरण की कोमल छुअन आत्मा को छूती है।
शांति बहती है, समय से अनजान,
प्रेम की गहराई के संकेत दिखाती है।
मौन कहता है, जब दिल सुन नहीं पाते,
जीवन के गहन सत्य को प्रकट करता है।
जी आर कवियुर
06 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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