Tuesday, December 23, 2025

हर मुलाक़ात का दर्द” ( ग़ज़ल)

हर मुलाक़ात का दर्द” ( ग़ज़ल)

हर मुलाक़ात के बाद बिछड़ने का दर्द होता है,  
हालात जो लाते हैं, तनहाई में दर्द होता है  

छुपा नहीं सकता दिल की आग किसी से भी,  
यादों की चादर ओढ़ के सोता हर कोई, दर्द होता है  

राहें जुदा सही, मगर तन्हाई में वो पास लगता है,  
हर ख़ामोशी बोलती है उन लम्हों की बात, जो दर्द होता है  

हवाओं में घुली है तेरी खुशबू हर तरफ़,  
हर मुस्कान छुपाती है वो आँसू जो अंदर दर्द होता है  

आँखों से उतरकर दिल तक जाती है तेरी याद,  
जो मिला सिर्फ़ ख्वाबों में, हकीकत में हर बार दर्द होता है  

तू मिले या न मिले, यादों का साया हमेशा साथ रहेगा,  
हर शब, हर सुबह, तेरी कमी का अहसास यही है, दर्द होता है


जी आर कवियुर 
23 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)


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