मुसाफ़िर हूँ मैं जन्म–जन्मांतरों का,
आसान है सफर ईश्वर के रिश्तों का।
आँखों में है धुआँ प्रार्थनाओं की लौ का,
हर मोड़ पर मिला साधु का साया।
तन्हा नहीं कोई इस प्रेम की राह में,
नदी भी सहारा बनती है आँसुओं का।
नाव ने किनारे देखे बहुत बार,
सुकून मिला बस तुम्हारी यादों का।
जंजीरें नहीं रोक पाईं इस दिल को,
मिल जाए दर्शन तुम्हारे प्रकाश का।
‘जी आर’ ने खोजा ईश्वर को हर साँस में,
मकसद यही है जन्म–जन्मांतरों का।
जी आर कवियुर
04 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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