Monday, December 1, 2025

उजाला लाई (ग़ज़ल)

उजाला लाई (ग़ज़ल)

तेरी आंखों की जो चमक मेरे लिए उजाला लाई
फिर मिलने की ख्वाहिश मेरे दिल में हवा लाई

हर मोड़ पर तेरा नाम मेरी साँसों में बसा
तेरे बिना जो जिंदगी है, वो अधूरी रह गई, खाली लाई

चाँद की रौशनी भी फीकी लगे तेरे सामने
तेरे कदमों की आहट से ही घर मेरा महक लाई

हर ख्वाब में तू ही तू, हर ख्याल में तू ही तू
तेरी हँसी की मिठास ने मेरी रातों में उजाला लाई

तेरी मोहब्बत की खुशबू ने मुझे जीना सिखाया
तेरे प्यार की छाँव में हर ग़म मेरा खिला लाई

तेरी आँखों में बसा है मेरा सारा जहाँ
तेरे प्यार ने ही मेरी दुनिया को नया रंग दिखाया लाई

जी आर की मोहब्बत में हर पल है रोशन
हर ख्वाब, हर सांस में बस तेरा ही नाम बसाया लाई

जी आर कवियुर 
01 12 2025 
(कनाडा , टोरंटो)

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