Sunday, December 7, 2025

न झुके हम (ग़ज़ल)

न झुके हम (ग़ज़ल)

क्यों डरे इस दुनिया से हम
सच्चा प्यार जो किया है हम (2)

छुपा नहीं सकते दिल की आग
हर एक पल में तेरा ही नाम हम(2)

रातों की तन्हाई में भी साथ है
सपनों में भी ढूँढते तुझको हम(2)

दिल की गहराई में बसाए हैं
जुलुम तो नहीं किया है हम(2)

हर आँसू में तेरा ही अक्स दिखता
हर खुशी में बस तेरा ही राज है हम(2)

हर सुबह में तेरी यादें बसी
हर शाम में बस तेरी आवाज है हम(2)

लिखता है जी आर मनसे तेरे लिए
दुनिया कितना भी कहे, न झुके हम(2)

जी आर कवियुर 
07 12 2025
(कनाडा ,टोरंटो)

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