Monday, December 1, 2025

कर्मनिष्ठ

कर्मनिष्ठ

कर्तव्यों में लगा, आगे बढ़ता हूँ,
संध्या के सपने भी हासिल करता हूँ।

कर्म में हृदय गाता है,
यादों के लिए राह बनाता है।

दैनिक जीवन में कदम खिलते हैं,
आशाएँ ऊँचाई पर उठती हैं।

साहस के पड़ाव में विश्राम ढूँढता हूँ,
समय के प्रवाह में बदलाव देखता हूँ।

जीवन की छोटी सफलताओं को संजोता हूँ,
परिश्रम से मिली बुद्धि का मूल्य समझता हूँ।

निश्चय और आत्मविश्वास के साथ,
कर्म पथ को शक्ति से आगे बढ़ाता हूँ।

हर दिन नई चमक के साथ,
सृष्टि की उपस्थिति अनुभव करता हूँ।


जी आर कवियुर 
01 12 2025 
(कनाडा , टोरंटो)

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