ड्रैगनफ्लाई की बूँदें आकाश में नाचतीं
सूरज फैलाए सुनहरी रोशनी साथ में
हवाएँ अपनी उंगलियों से कहानियाँ बुनतीं
नदी अपने राज़ समुंदर से कहती
धारा की आँखों में चमकती छोटी-छोटी रौशनियाँ
फूल बारिश में महकते, ठंडी हवा में
छुपे दिल जागते दिन की रोशनी में
सपने उड़ते हैं पंखों में अदृश्य
सूरज की रौशनी में ठहरता नृत्य
धरती की गर्मी बाँधती प्यार से
तारें जागते हैं शांत रात में
ड्रैगनफ्लाई की दुनिया आराम करती संध्या में
जी आर कवियुर
06 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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