Saturday, December 20, 2025

रूह की राह (सूफी ग़ज़ल)

रूह की राह (सूफी ग़ज़ल)

रूह की गली में तू ही बसता है, तेरा नाम
हर धड़कन में बस तेरी ही आवाज़ है, तेरा नाम

छुप-छुप के रातों में तेरी याद आई
आंखों की नमी में तेरा ही असर छाई, तेरा नाम

हर मोड़ पर तेरा दीदार चाहा
हर सांस में तेरा प्यार पाया, तेरा नाम

धूप-छाँव में तेरी राह ढूँढी मैंने
अंधेरी रातों में तेरा नूर देखा मैंने, तेरा नाम

पलकों के साये में तेरा ही चेहरा
सपनों की दुनिया में तेरा ही बसेरा, तेरा नाम

तेरी मोहब्बत में खुद को खो दिया
तेरे बिना हर खुशी अधूरी पाई, तेरा नाम

संग तेरे बीते हर लम्हा खास बना
तेरी यादों में ही हर दर्द को सहा, तेरा नाम

जी आर रूह की राह में तेरे ही नाम लिखा
मैं वही कवि हूँ जो बस तेरा नाम लिया, तेरा नाम

जी आर कवियुर 
20 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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