Saturday, December 20, 2025

ज़िंदगी की कहानी (ग़ज़ल)

ज़िंदगी की कहानी (ग़ज़ल)

जरा रात हो या दिन का उजाला हो
ज़िंदगी की कहानी में तू ही अनमोल हो

तेरी बातों में जो ठहराव का रस घोल हो
मेरे हर सवाल का तू ही जवाब अनमोल हो

थक कर भी जो मुस्कान लबों पर टोल हो
वो तेरा नाम ही मेरी राहत का मोल हो

भीड़ में भी जो लगे कोई अपना-सा गोल हो
मेरे हर तन्हा लम्हे में तेरा ही रोल अनमोल हो

ख़ामोशी में भी जो एहसासों का बोल हो
मेरे हर टूटे ख़्वाब की ताबीर तू अनमोल हो

“जी आर” कहे, शायरी तभी मुकम्मल हो
जब हर दुआ, हर साँस में तेरा ही बोल अनमोल हो


जी आर कवियुर 
19 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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