Wednesday, December 24, 2025

बिन चैन की रातें"( ग़ज़ल)

बिन चैन की रातें"( ग़ज़ल)

बीते दिनों की यादों में जीते हैं
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

ख़्वाबों की दुनिया में खोते हैं हम
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

वो लम्हें जो साथ थे कभी हमारे
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

तन्हाई के साये में छुपते हैं हम
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

दिल की गहराइयों में बहते हैं आँसू
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

जी आर – हर याद बस तुझसे जुड़ी है
बिन चैन की रातें गुज़ारते हैं

जी आर कवियुर 
24 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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