Tuesday, December 16, 2025

कर्तव्य

कर्तव्य 

आज के साथ जिएँ…
मौन में मन को बहने दें,
क्षण कविता की तरह खुलते हैं, बिना भूल,
किसने कल देखा है? नियति का खेल अज्ञात है…

समय के घोड़े को कौन रोक सकता है?
जिसके साथ इसकी लय में चलते हैं, उनके लिए सफलता निश्चित है,
अपने हृदय में जो है उसे जानो,
प्रकृति की विकृतियों को समझे बिना, दो पैरों वाला घमंड से चलता है…

कविता के बीज अनजाने में बोए जाते हैं,
प्रयास की कोई सीमा नहीं, बिना शिकायत के,
जागता दिन रात की रोशनी में छिपा है,
मौन विचारों में शांति और सुख फैलाता है…

कवि ऋषि समान हो,
प्रकृति और मानवता के प्रति सजग,
कविता के माध्यम से आशा और प्रेम फैलाएँ,
सच्चे विचार और अच्छे कार्य करें;
यह सृष्टि की सबसे बड़ी जिम्मेदारी और कर्तव्य है…


जी आर कवियुर 
15 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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