Sunday, December 7, 2025

“नज़रअंदाज़ हुए दिल”

“नज़रअंदाज़ हुए दिल”


दूसरों की गलतियाँ ही देखने वाली नज़रें
पास खड़े दिलों को भूल जाती हैं
मिलता प्यार समझे बिना गुजरती हैं
कोमल आत्माएँ अनसुनी रह जाती हैं

ताना उड़ते ही ममता धुंधली पड़ती है
सहारा देने वाले भी गिने नहीं जाते
निर्णय मन को अपने बस में करते हैं
संदेह आने वाले कल को ढक देता है

सच के साथ चलने वाले थक जाते हैं
मुस्कान देने वाले भी खो से लगते हैं
मदद करने वाले बोझ समझे जाते हैं
आखिरकार मन खालीपन में गिर जाता है


जी आर कवियुर 
07 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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