Monday, December 1, 2025

फूलों की मिठास

फूलों की मिठास”

प्रेम, आनंद, आशा संग मिलकर,
जीवन में भरते हैं उजियारा पल भर।
हृदय की धड़कन में गीत उभरता है,
हर फूल का स्पर्श स्मृतियों में ठहरता है।

फूलों की मिठास में मन खिल उठता है,
रंग धीरे-धीरे सौंदर्य रचता है।
बारिश और खुशबू जब संग बहती है,
सुगंध अनंत आकाश में रहती है।

रात के तारे आँखों में चमक उठते हैं,
पक्षियों के स्वर गीतों में ढलते हैं।
संध्या की किरणें धरती पर ढलती हैं,
हरे पत्तों पर रंगों की छाया खिलती है।

नदी की लहरें पुरानी बातें कहती हैं,
समय सपनों सा आगे बढ़ता रहता है।
नेत्रों में दीप-सी झिलमिल रोशनी,
स्मृतियाँ तट पर आकर मिलती हैं।


जी आर कवियुर 
01 12 2025 
(कनाडा , टोरंटो)



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