Tuesday, December 16, 2025

तेरे बिना (ग़ज़ल)


तेरे बिना (ग़ज़ल)

इस ग़ज़ल में, प्रियतम के बिना बिताए गए उन तन्हा लम्हों और अधूरी यादों की बात है।
प्रेमिका / जीवनसाथिनी की अनुपस्थिति हर पल महसूस होती है।
हर स्मृति, हर मुस्कान, हर धड़कन बस उनके बिना अधूरी रह गई है।
यह ग़ज़ल उसी विरह और खोए हुए प्यार की गहरी अनुभूति बयां करती है।


तेरे बिना (ग़ज़ल)

कैसे गुजरी रातें तेरे बिना, कैसे बीते दिन तेरे बिना,
हर एक याद में तेरा अक्स दिखा, हर एक लम्हा तेरे बिना (2)

वो बारिश की वो बूंदें, वो खिड़की का कोना,
तेरी हँसी की गूँज आज भी सुनाई देती है तेरे बिना (2)

छोटी-छोटी बातें, वो मीठी बातें,
दिल में बसी हर याद आज भी तड़पती है तेरे बिना (2)

बीते कल की गलियाँ, वो चुपके से कहे वादे,
हर मोड़ पर तेरा नाम लबों पे आता है तेरे बिना (2)

अब तो खाली हैं ये कमरे, सब कुछ फीका लगता है,
जी आर की मोहब्बत में खो गया हर रंग तेरे बिना (2)

वो चाँदनी रातें, वो पुरानी बातें,
तन्हा दिल अब भी तुझे ढूँढता है तेरे बिना (2)

हर संगीत की सरगम, हर धड़कन की आवाज़,
सुनाई देती है सिर्फ तेरी याद तेरे बिना (2)

जी आर की तन्हाई में बसी, ये मोहब्बत तेरे बिना,
हर धड़कन में तू ही तू, खो गया हूँ मैं तेरे बिना (2)


जी आर कवियुर 
14 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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