ओ रे ओ… एकतारा की तान सुनो, दिल में बसी ये बात,
धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश, इसमें रची सौगात। ओ रे ओ…(2)
सादा सा ये बाजा, पर गूँजता है प्यार का गीत,
मन की गहराइयों से उठे, हर स्वर है अमृतरीत। तां तां तां…(2)
गाँव की गलियों में गूँजे, साधु की प्यारी धुन,
साधना, भक्ति, और प्रेम में, बंधा हर एक जुन। ओ रे ओ…(2)
हाथ में थामो इसे, बजाओ नर्म आलाप,
जीवन के पाँच तत्त्वों में बसी इसकी मधुर आवाज़। तां तां तां…(2)
हर धुन में छुपा है ब्रह्मांड का संदेश,
एकतारा बोले चुपके-चुपके, प्रेम और हृदय का वेश। ओ रे ओ…(2)
संगीत में समाई धरती, पानी, अग्नि, हवा और आकाश,
भौल गीत में गाओ इसे, मिले सुकून और प्रकाश। तां तां तां…(2)
जी आर कवियुर
06 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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