अकेले विचार – 78
युद्ध क्यों?
आज रात खामोशी में एक पालना खाली पड़ा है,
धुँधली होती रोशनी में एक माँ उदास होकर रो रही है।
जो आसमान कभी नीला था, अब आग का रंग है,
शांति के सपने कीचड़ में छिपे हैं।
मासूम आँखें, कृपा के क्षितिज को देखती हुई,
एक बच्चे की उम्मीद बिना किसी निशान के खो गई है।
जो खेत कभी सोने से लदे थे, अब धूल बन गए हैं,
अविश्वास से छोड़ा गया घर खंडहर में पड़ा है।
नेता बोलते हैं - लेकिन दिल चुप हैं,
दुश्मनी और दर्द की कीमत हमेशा ऊँची होती है।
जब झंडे फहराते हैं, तो ज़िंदगियाँ ठंडी ज़मीन पर गिरती हैं -
यह दुनिया फिर भी दुःख क्यों चुनती है?
जी आर
कवियुर
२४ ०६ २०२५
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