Saturday, December 13, 2025

पत्थर पर ख़ामोशी

पत्थर पर ख़ामोशी

चट्टान पर
सोई हुई
ख़ामोशी

सूरज की छाया
छुई
आँखें

हवा की लहरें
धीरे
साँस लेती

नीचे
घास की छाया
ठंडक

समय
बहे बिना
ठहरा

स्मृति
कोमल
परत

दूर कहीं
लहरें
टूटतीं

अंदर
पीड़ा
ठहरती

रात्रि पक्षी
उड़कर
गया

बादलों की कतार
हटी
तारे

स्वप्न
मौन में
खुलते

शांति
वहीं
रहती

जी आर कवियुर 
13 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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