Wednesday, December 17, 2025

संगीत संध्या

संगीत संध्या

सुरों में मन की मुकुट सजता है
हवा में ठंडक धुन लेकर आती है
पंखों वाले पल सुनाई देते हैं
गायक का हृदय विशाल सागर खोलता है

मौन रात संगीत से भर जाती है
फूलों की खुशबू ताल में मिल जाती है
प्रेम के गीत आत्मा से बात करते हैं
स्मृति की परछाइयाँ ताल में गाती हैं

स्वर उठते हैं और वातावरण उत्सव बनता है
प्रेम का नशा गाया जाता है
रात के रंग संगीत की तरह होते हैं
हृदय एक संध्या गीत गाता है

जी आर कवियुर 
17 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)


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