Tuesday, December 16, 2025

विरह गीत

विरह गीत

ख़ामोश राहों में दिल की धड़कन तेज़ होती है
यादों की बारिश आँसुओं की नदी बनाती है
इंतज़ार की साँस रात को छू जाती है
दूरी समय के भीतर घाव बन जाती है

तेरी परछाईं सपनों की सीढ़ियाँ चढ़ती है
दीये की लौ उम्मीद को संभालकर रखती है
ख़ामोशी सीने में संगीत जगा देती है
दूर का चाँद चित्ताकाश को सहलाता है

विरह की ख़ुशबू साँसों में भर जाती है
कल का विश्वास राह को उजाला देता है
फिसलते लम्हों को गिनता रहता हूँ
फिर मिलन जीवन-गीत बनकर गूंज उठता है

जी आर कवियुर 
15 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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