अकेले विचार – 128
समय मुस्कुराया और बोला, मैंने पूछा
मेरा दोष क्या था
तुमने सभी को अपना समझा
यही वह अपराध था जो तुमने किया (2)
दिल में दर्द एक गीत बन गया
यादों की राहों से होकर गुज़रा
वो कहानियाँ जो पल कह न सके
मन में बस गईं, जैसे छाँव (2)
उन रास्तों पर जहाँ तुम पीछे नहीं मुड़े
साँगठन रूप में मौजूदगी है
प्यार, दर्द और सुकून मिलकर
दिल में बह गए, एक ही बार में (2)
जीवन के लंबे रास्ते पर
आशीर्वाद मिलेंगे
मन में निस्तब्ध शांति
अंतिम शब्द में, समय मुस्कुराया और बोला (2)
जी आर कवियुर
13 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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