Thursday, December 4, 2025

कम लगे (ग़ज़ल)

कम लगे (ग़ज़ल)

कितनी भी तारीफ़ करूँ,कम लगे
किस्मत से जो पाया तुझे, कम लगे

हर नज़र में तेरा ही अक्स दिखाई दे,
हर ख्वाब में बस तेरा ही सुरूर दिखाई दे, कम लगे

तेरी यादों के दीप ने हर मोड़ रोशन किया,
तेरे बिना ये दिल सूना सा राहों में खो गया, कम लगे

चाँदनी रात में भी तेरा ही नाम गुनगुनाया,
तेरी हर हँसी ने मेरे दिल को भिगोया, कम लगे

लबों पे तेरा जिक्र हर पल सजता रहा,
तेरे बिना मेरी तन्हाई ने गीत लिखा, कम लगे

हर सांस में तेरा एहसास बसता रहा,
तेरे होने का सुख, फिर भी कम लगता रहा, कम लगे

तेरी यादों में जी रहा हूँ मैं,
जी आर के नाम से अब ये दास्ताँ सजाई जाए, कम लगे

जी आर कवियुर 
04 12 2025
(कनाडा, टोरंटो)

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