खुले मन की रात में जन्मी एक छवि
हर साँस के साथ चलने वाला सपना
आँखों में उतरता मौन संगीत
चाँदनी जैसा छू लेने वाला कोमल स्पर्श
यादों की ठंडक में पलती चाह
असीम दूरियों की ओर बुलाती रोशनी
बिना पीड़ा का सुकून भरा क्षण
समय से परे ठहरी हुई आशा
निस्तब्धता तोड़कर उठता विचार
हृदय की धड़कन में घुली लय
अनकहे ही मुस्कान दे जाने वाली मौजूदगी
जीवन की साँझ में बची हुई उजास
जी आर कवियुर
14 12 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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