Friday, November 28, 2025

बरसात (ग़ज़ल)

बरसात

बरसात ने बहा दिया,
आँखों में यादें बहा दिया।

दिल में सुरों का गान गाया,
चाँदनी बिखरी, साया फैलाया।

बरसात ने बहा दिया,
हवा में शाम का मुस्कान बहा दिया।

नींद में सपनों ने रंग भरे,
बिना जाने जगी, धीरे आँखें खोले।

तुम भी चले गए, कहीं छुप गए,
अँधेरे में उजाले ने बहा दिया।

बरसात ने बहा दिया,
प्यार की यादों में हर दिल ने बहा दिया।

जिंदगी की राहों में लिखी यादों की बात में,
जी आर की मोहब्बत चाँदनी की तरह बहा दिया।

जी आर कवियुर 
(28 11 2025)
(कनाडा, टोरंटो)

No comments:

Post a Comment