Tuesday, November 11, 2025

अभी भी,(ग़ज़ल)

अभी भी,(ग़ज़ल)

अजनबी बनकर भी जिऊँगा अभी भी,
आज भी, कल भी तेरे लिए जिऊँगा अभी भी(2)

बर्फ़ गिरती रही, यादें पिघलती रहीं,
हर क़तरा तेरे नाम से महकता रहा अभी भी(2)

ख़ामोश लम्हों में तेरी सदा सुनता हूँ,
दिल के हर कोने में तू बसता रहा अभी भी(2)

रात की चादर में तेरा चेहरा उतर आया,
चाँद की रौशनी में दिल जलता रहा अभी भी(2)

तेरे जाने के बाद भी महफ़िल सजी रहती है,
तेरा नाम लिए कोई मुस्कुराता रहा अभी भी(2)

ख़्वाब टूटे मगर नींदें रूठी नहीं अब तक,
तेरे ख्यालों का मौसम बरसता रहा अभी भी(2)

जी आर की ग़ज़ल में है तेरी खुशबू का असर,
हर शेर में तेरा ही जादू बोलता रहा अभी भी(2)

जी आर कवियुर 
10 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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