तू मेरे दिल की चिलमन से उभरती दुआ लगे,
तेरा नशा मुझे में उतरकर नग़्मों-सा ही लगा लगे(2)
तेरी आहट से धड़कन को नया ये साज़ बजा लगे,
तेरे कदमों की ख़ुशबू से हर मौसम हरा लगे.(2)
तेरी पलकों की छाँव में हर ग़म भी हल्का लगे,
तेरे चेहरे की रौशनी में दिल खुद को पूरा लगे(2)
तेरी राहों में चलते ही इक अपनापन सा लगे,
तेरे होने से ये दुनिया भी थोड़ी अपनी लगे(2)
तेरे बिना ये पल-पल जैसे ठहरी हुई हवा लगे,
तेरे लफ़्ज़ों के आने से जीना फिर नया लगे(2)
तेरी मुस्कान की रौशनी में हर दर्द दवा लगे,
तेरी आँखों की गहराई में दुनिया भी सजा लगे(2)
जी.आर. तेरी यादों में डूबा दिल आज भी रमा लगे,
तेरी मोहब्बत की छाँव में जीना क्या ख़ूब लगा लगे(2)
जी आर कवियुर
26 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
No comments:
Post a Comment