Thursday, November 27, 2025

कारवाँ है (ग़ज़ल)

कारवाँ है (ग़ज़ल)

ज़िंदगी ज़िंदादिलों का कारवाँ है,
जीत–हार की भूल — ये जाना भी कारवाँ है(2)

चलते रहो तो हर दर्द भी नभ का उजाला,
हर लम्हा ही तन्हा-सा कारवाँ है(2)

सच्चाई का रस्ता कभी सूना नहीं होता,
झूठ की हर चकाचौंध बस धोखा कारवाँ है(2)

हर मोड़ पे इंसान को मिलता है तजुर्बा,
और हर तजुर्बा दिल को नया रस्ता कारवाँ है(2)

क्षणिक ये जहाँ, इसका फ़साना भी क्षणिक,
बेख़ौफ़ जीना ही जीने का असली दावा कारवाँ है(2)

जी.आर. ने फ़लसफ़े की राह यूँ ही चुनी है,
उनके दिल में हर लफ़्ज़ सदा ज़िंदा कारवाँ है(2)


जी आर कवियुर 
(27 11 2025)
(कनाडा, टोरंटो)

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