अंधेरों में भी मैं ढूँढूँ तेरी मौजूदगी,
नींद के संग ही बसी रहे तेरी मौजूदगी(2)
बरसती चुप-चुप बारिश में मिली तुझे मैं,
हर बूंद में महकती रहे तेरी मौजूदगी(2)
रंगहीन राहों में तू आई अचानक,
हर खामोशी में झलके तेरी मौजूदगी(2)
ठंडी हवाओं में वो गर्माहट महसूस हुई,
हर स्पर्श में समाई रहे तेरी मौजूदगी(2)
आँखों में नमी न हो पर मुस्कुराए तू,
हर एहसास में बसी रहे तेरी मौजूदगी(2)
दिल थक कर भी थम नहीं पाया तेरे बिना,
हर धड़कन में गूँजती रहे तेरी मौजूदगी(2)
कविता लिखते हैं जी आर, दिल से,
हर लफ़्ज़ में जगे बस तेरी मौजूदगी(2)
जी आर कवियुर
21 11 2025
(कनाडा, टोरंटो)
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