प्रभु के सेवा में तन-मन हो सदा प्रसन्न,
प्रेम नगर के वासी बन, मेरा मन डोले।
राम दून सदा जपे, शरण तुम्हारी ले,
सदा हो आभा तुम्हारी, जीवन में उजियारे(2)
राम राम भजे मन सदा, राम राम
भक्ति में लीन हो जाएँ हम, राम राम
सत्य पथ पर चलूँ, हर कष्ट से बचाऊँ,
भक्ति भाव में लीन रहूँ, जीवन को सजाऊँ।
संग तुम्हारा पा लूँ, दुःख न कोई छू पाए,
प्रभु के चरणों में मैं, सदा निवास करूँ(2)
राम राम भजे मन सदा, राम राम
भक्ति में लीन हो जाएँ हम, राम राम
भक्तों के संग गाऊँ, नाम तुम्हारा हरदम,
मन में प्रेम भर लूँ, जैसे पुष्पों का भ्रम।
सदा रहूँ तुम्हारे पास, जीवन हो धन्य मेरा,
प्रभु की भक्ति में डूबा, हर दिन हो प्यारा(2)
राम राम भजे मन सदा, राम राम
भक्ति में लीन हो जाएँ हम, राम राम
जी आर कवियुर
25 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
No comments:
Post a Comment