कुछ निगाहें तुम्हारी नटखट थीं
दिल को गहराई तक छू जाती थीं(2)
तेरी हँसी की वो मधुर बात थी
हर दर्द की रात भी हल्की हो जाती थीं(2)
जब तुम पास होते, दिल बहक थी
हर ख्वाब तुझसे ही महकती थीं(2)
तेरी मुस्कान ने चुरा लिया चैन मेरा थी
हर साँस में तेरा नशा हो जाती थीं(2)
इन आँखों में तैरते रहस्य अनकहे थीं
तेरी यादों के सागर में खो जाती थीं(2)
तेरे जाने से भी कोई शिकवा न थी
तेरी हर बात बस दिल में समा जाती थीं(2)
दिल के हर कोने में बसते रहे तुम थीं
जी आर की यादों में ग़ज़ल बस तू ही थीं(2)
जी आर कवियुर
10 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)
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