Wednesday, November 5, 2025

“मृत्यु आ जा”

 “मृत्यु आ जा”

मृत्यु आ जा, जब मौन छा जाए गगन में,
हर जीव चले उसी अंतिम राह में।

फूल मुरझाएँगे, तारे भी बुझ जाएँगे,
समय का पहिया रुक न पाएगा कभी।

जब हवा थमे, तट हो जाए शांत,
नदियाँ भी पाएँगी एक दिन विश्राम।

गाने जो गाए गए, खो जाएँगे ध्वनि में,
अस्त होते सूरज संग उठेगी शांति।

जीवन तो बस सागर की एक लहर है,
मृत्यु आ जा — अनंत की डगर पर।

जी आर कवियुर 
(कनाडा, टोरंटो)
04 11 2025

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