Sunday, November 2, 2025

शायर बना डाला ( ग़ज़ल)

शायर बना डाला ( ग़ज़ल)

ये इश्क़ ने हमें क्या हाल में बना डाला,
हर लम्हा दर्द से दिल को सजा डाला(2)

नज़रों ने जब भी तेरा ज़िक्र किया दिल में,
आँखों के समुंदर को फिर से जला डाला(2)

वो ख़्वाब जो तेरे मिलने के थे सीने में,
तन्हाई ने उन्हें आँसू में घुला डाला(2)

हम मुस्कुराए तो लोगों ने समझा खुशी है,
किसे बताएं कि हमने ग़म को छला डाला(2)

तेरे बिना ये जहाँ सूना लगे हरदम,
दिल ने तेरा ख़याल आके रुला डाला(2)

अब मौत भी शर्माई मेरे हाल देखकर,
जीने की आरज़ू ने खुद को भुला डाला(2)

अब “जी आर” का हाल पूछे भी तो क्या कोई,
इश्क़ ने उस दीवाने को शायर बना डाला(2)

जी आर कवियुर 
01 11 2025
(कनाडा , टोरंटो)

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